NFAEE is the one and only all India Federation of Atomic Energy Worker, recognised by Government of india/Department of Atomic Energy (DAE).

It represents the Industrial, Research & Development and Service organisations under Department of Atomic Energy.

26 Unions and associations of DAE Employees recognised under CCS (RSA) Rule are affiliated with NFAEE

Tuesday, August 25, 2015


        National Federation of Atomic Energy Employees
NFAEE
DEPARTMENT OF ATOMIC ENERGY
Regn.No.17/9615
Recognised by DAE vide DAE OM No. 8/1/2007 – IR&W/95 dated 13th June 2007
NFAEE Office, Opp. NIYAMAK BHAVAN, Anusaktinagar, Mumbai 400 094
Web site: www.nfaeehq.blogspot.com ; Email address: nfaee@yahoo.com
कार्मिक वर्गों के के अधिकारों की रक्षा हेतु इस
ऐतिहासिक आंदोलन का हिस्सा बनें
26 मर्इ, 2015 को मावलंकर ऑडिटोरियम, नर्इ दिल्ली में, जमा हुए देश के सभी कार्मिक वर्गों ने एक आवाज में सरकार के कार्मिक विरोधी, किसान विरोधी, जन-विरोधी एवं प्रो-कॉरपोरेट, प्रो-एनएमसी शासन की भर्त्सना की तथा इन नीतियों के विरूद्ध 2 सितंबर, 2015 को बुलाये गये राष्ट्रव्यापी हडताल के माध्यम से पूरे देश में विरोध जताने की घोषणा की।
सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियन जिसमें केन्द्रीय तथा राज्य सरकार, बैंक, इन्श्योरेंस, पोर्ट एवं डॉक, कोयला, स्टील, परिवहन आदि जैसी सेवाओं सहित सभी सेक्टरों के छह केन्द्रीय व्यापार संघ, राष्ट्रीय संगठन तथा बीएमएस, आर्इएनटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआर्इटीयूसी, आदि शामिल हैं, द्वारा आयोजित राष्ट्रीय समावेश की सर्वसम्मत घोषणा से, सरकार द्वारा नियोक्ताओं के पक्ष में श्रम नियमों में क्रांतिक परिवर्तन करने, पेंशन, भविष्य निधि, र्इएसआर्इ लाभ, जनवितरण प्रणाली, आदि जैसी सामाजिक सुरक्षा संबंधी योजनाओं पर आक्रमण करने, देश के गरीब लोगों को सुविधा पहुँचाने वाली योजनाओं को दिये जाने वाले बजटीय आबंटन को कम करने, भारतीय श्रम अधिवेशन (आर्इएलसी) के त्रिपक्षीय निर्णयों को लागू न करने, भू-अर्जन अधिनियम में संशोधन लाने, लाभकारी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में विनिवेश न करने तथा इसके अतिरिक्त ट्रेड यूनियनों द्वारा सौंपे गये मांगपत्रों को अनदेखा करने की भर्त्सना की है।
सरकार की इन नीतियों से सबसे ज्यादा पीडित होने वाले केन्द्र सरकार के कर्मचारीगण ही हैं। सरकार ने डीए मर्जर, अंतरिम रिलीफ, 01.01.02014 से सातवें वेतन आयोग की प्रभावी तिथी, अनुकम्पा आधारित नियुक्ति पर लगी 5 प्रतिशत सिलिंग को हटाने, पीएफआरडीए एक्ट अधिनियम को वापस लेने तथा सभी सरकारी कर्मचारियों को दी जाने वाली पू्र्व में परिभाषित पेंशन योजना को पुनः लागू करने, निर्णयों को लागू करने आदि जैसी माँगों को स्वीकार नही किया है। इसके अतिरिक्त, निजीकरण की दिशा में सरकार के आगे बढने की नीति तीव्र हो गर्इ है तथा पोस्टल कॉरपोरेटार्इजेशन, टास्क फोर्स समिति की रिपोर्ट, विवेक देवराय समिति की रेल को निजीकरण करने पर रिपोर्ट, रक्षा मंत्रालय के अधीन, ऑर्डिनेंस फैक्टरियों को कॉर्पोरेटकरण आदि से यह मामला सामने आया है। प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी, मेडिकल स्टोर डिपो आदि, रिक्त पदों को न भरना, कर्मचारी की संख्या कम करना, कार्य बाहरी स्रोतों से कराना, संविदाकरण, निजीकरण आदि जैसे केन्द्र सरकार के विभिन्न स्थापनाओं को बंद करने के कार्य को उग्रतर ढंग से क्रियान्वित किया जा रहा है।
इन नीतियों का दुष्प्रभाव विभाग के कार्य करने पर भी पडता है। बाहरी स्रोतों से कार्य कराना तथा संविदाकरण विभाग के मंत्र बन गये हैं परिणामस्वरूप, घटिया सामान मंगवाना तथा परियोजनाओं को पूरी करने में विलंब होना आम बात बन गये हैं। कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार, कर्मचारियों में असंतोष, नाभिकीय संस्थापनाओं तथा जनशक्ति संबंधी सुरक्षा तथा संरक्षा पर समझौता करना आदि बढ रहे हैं। विभाग की छवि भी धूमिल होती जा रही है। सातवें वेतन आयोग के साथ ही बैठक के दौरान, वेतन आयोग ने बैंकों तथा अन्य पीएसयू में क्रियान्वित किये जा रहे पंचवर्षीय मजदूरी की माँग तथा डीए मर्जर की माँग तथा अंरिम रिलीफ की माँग आदि को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया। कार्पोरेट संचालित मीडिया ने, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अंतिम रूप दिये जाने की प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिये सरकारी कर्मचारियों के मजदूरी संशोधन के खिलाफ लिखना प्रारंभ कर दिया। अपनी अंतरिम समीक्षा रिपोर्ट में वित्त मंत्री ने भी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के प्रभाव के संबंध में आशंका व्यक्त की तथा अप्रत्यक्ष रूप से वेतन आयोग को चेतावनी दी।
देश के कार्मिक वर्ग, केन्द्रीय सरकारी कर्मचारी सहित, पर छिपकर वार करने की पद्धति को समय पर निपटा जाना चाहिये। इन नीतियों के पीछे नव-उदारवादी नीतियों तथा पूँजीपती वर्ग के हितों के कार्मिक विरोधी चरित्र को समझा जाना चाहिए तथा इसका भंडाफोड किया जाना चाहिए।
कर्मचारी वर्गों पर किये जा रहे हननों को रोकने के लिये ही देश के संगठित ट्रेड यूनियनों ने, बिना किसी राजनीतिक रूझान के, 02 सितम्बर, 2015 को राष्ट्रव्यापी हडताल का आह्वान किया है।
केन्द्रीय कर्मचारी संगठन तथा एनएफएर्इर्इ, इसका विरोध करता रहा है एवं वैश्वीकरण की नीतियों का प्रतिरोध करने में कार्मिक वर्ग मुख्य धारा में शामिल हुर्इ है। नर्इ दिल्ली में 12 जुलार्इ, 2015 को आयोजित केन्द्रीय कर्मचारी तथा कार्मिक संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारी बैठक में 02 सितम्बर, 2015 को होने वाले एकदिवसीय हडताल में शामिल होने के लिये सेन्ट्रल ट्रेड यूनियनों द्वारा आह्वान का समर्थन दिया गया तथा औद्योगिक कार्रवार्इ में भाग लेने के लिये सभी संबंधितों से अपील की गर्इ।
20 तथा 21 जुलार्इ, 2015 को मुम्बर्इ में आयोजित एनएफएर्इर्इ की आम बैठक में, जिसमें 23 संबंधितों ने भाग लिया था, संगठन द्वारा बुलाये गये आह्वान को सर्वसम्मति से समर्थन किया तथा 02 सितम्बर, 2015 को राष्ट्रव्यापी एकदिवसीय हडताल में शामिल होने, तथा 11 अगस्त, 2015 को विभाग को सूचित करने का निर्णय लिया।
तदनुसार, एनएफएर्इर्इ तथा इसके सहायक संगठनों ने विभाग को सूचित किया है।
यह हडताल सरकार के लिये एक कडी चेतावनी के रूप में किया जाना चाहिए कि देश के कार्मिक वर्ग इन हमलों को नहीं होने देंगे।
हम सभी कर्मचारियों से अपील करते हैं कि वे राष्ट्रव्यापी औद्योगिक कार्रवार्इ में सामूहिक रूप से शामिल हों तथा इसे सफल बनायें तथा इस प्रकार इसके इतिहास का भाग बनें।
कर्मचारी एकता जिन्दाबाद
सीसीजीईडब्ल्यू जिन्दाबाद
एनएफ़एईई जिन्दाबाद
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मांग सूची

01.       जन वितरण प्रणाली के वैश्वीकरण तथा पदार्थ बाजार में प्रत्याशित व्यापार को रोकन             हेतु शीघ्र    जाँच बिन्दु स्थापित किया जाना।
02.       रोजगार संतति के लिये ठोस जाँच बिन्दुओं द्वारा बेरोजगारी का समाहित किया जाना
          क.  नए पदों के सृजन पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध न हो। सभी रिक्त पदों                      को भरा जाये।
03.       बिना किसी अपवाद अथवा छूट के सभी आधारभूत मजदूर नियमों को लागू करना तथा           इन नियमों के हनन होने पर सख्त दंडनीय जाँचबिन्दु स्थापित करना।
                क.   कोर्इ भी मजदूर सुधार, जो कि मजदूरों के लियेअहितकर हो।
04.       सभी मजदूरों की सर्वव्यापी सामाजिक सुरक्षा।
   क.  पीएफआरडीए अधिनियम को हटाकर लाभप्रद सांवैधानिक पेंशन योजना का               लागू  किया जाना
   ख.  सम्पूर्ण कार्यकारी जनसंख्या हेतु निश्चित परिष्कृत पेंशन प्रदान किया जाना,         जोकि रू. 3000/- से कम न हो।
05.       सूचीकृत किये गये प्रावधानों के अनुसार न्यूनतम मजदूरी प्रदान किया जाना।
   क.  01.01.2014 से जेसीएम के ज्ञापन को स्वीकार करते हुए सरकारी                      कर्मचारियों के वेतन का पुनरीक्षण।
   ख.  भविष्य में 5 वर्षों तक वेतन पुनरीक्षण सुनिश्चित किया जाना
   ग.  अंतरिम रिलिफ स्वीकार करते हुए 100% डीए मर्जर प्रदान करना।
   घ.  सातवें वेतन आयोग के प्रारंभ से पहले ग्रामीण डाक सेवकों को शामिल                  किया जाये।
         ड.   छठे वेतन आयोग की सभी अनियमितताओं का दूर किया जाना
06.       सेन्ट्रल/राजकीयकृत पीएसयू में विनिवेश को बंद किया जाना। स्थायी बहुवर्षीय कार्यों में          संविदाकरण का बंद किया जाना तथा नियमित कामगारों के समान कार्यों की तरह ही,           संविदाकृत कामगारों को समान मजदूरी का भुगतान किया जाना।
  क.   सरकारी कार्यों हेतु बाहरी स्रोतों से सेवाएँ प्राप्त करना, ठेकेदारी, सरकारी                  कार्यों का निजीकरण न प्राप्त करना।
         ख.   प्रिंटिंग प्रेसों, स्टोर तथा स्टेशनरी विभागों तथा मेडिकल स्टोर डिपो के बंद                     करने हेतु प्रस्तावित आंदोलनों में भाग न लेना।
          ग.   दैनिक वेतनग्राही/अनियमित तथा ठेका मजदूरों को नियमित करना तथा                   प्रशिक्षित शिक्षणार्थियों को शामिल किया जाना।
07.   बोनस की पात्रता, भविष्य निधी के भुगतान पर से सभी प्रतिबंधों को हटाना तथा         ग्रेच्युटी की मात्रा का बढाया जाना।
  क.   बोनस की अदायगी पर रोक को हटाया जाना।
08.    आवेदन प्रस्तुत करने के 45 दिनों की अवधि के भीतर ट्रेड यूनियनों का अनिवार्य            पंजीकरण तथा आर्इएलओ सी87 तथा सी 98 का शीघ्र सत्यापन।
              क.    जेसीएम की सीमा में सभी अराजपत्रित कर्मचारियों को समाहित करते हुए,                    सभी केन्द्रीय कर्मचारियों की माँगों के समायोजन हेतु एक कारगर व्यवहार्य                    समिति के रूप में सभी स्तरों पर जेसीएम की कार्यपद्धति को पुनः प्रचालित                     करना।
09.   रेलवे में एफडीआर्इ, इंश्योरेंस तथा सुरक्षा के विरूद्ध :
          क.  निजीकरण, रेलवे में पीपीपी अथवा एफडीआर्इ, रक्षा प्रतिष्ठान तथा डाक सेवाओं                को कंपनियों के अधीन न रखा जाना।
10.   अनुकंपा आधारित नियुक्ति पर रोक को हटाया जाना।
11.   सेवा-काल में पाँच पदोन्नति प्रदान करना सुनिश्चित करना।






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